सक्सेस स्टोरी: पंक्चर बनाने वाले का बेटा बना जज, UP PCS-J में हासिल की 157वीं रैंक

उत्तरप्रदेश
प्रयागराज/स्वराज टुडे: प्रयागराज के अहद अहमद को गुदड़ी का लाल कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. कभी पिता के साथ पंक्चर बनाने वाले अहद अहमद ने वो कमाल किया है जिसके बाद परिवार के साथ आस-पास के लोग भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. अहद अहमद ने पहले प्रयास में यूपी पीसीएस जे क्लियर कर जज बन गए हैं.

अहद अहमद के पिता चलाते हैं सायकल पंचर की दुकान

 

संगम नगरी प्रयागराज के नवाबगंज इलाके के बरई हरख गांव में इन दिनों साइकिल पंचर की छोटी सी दुकान चलाने वाले शहजाद अहमद के बेटे अहद अहमद की खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, शहजाद अहमद के दूसरे बेटे अहद अहमद ने वह कामयाबी हासिल की है जो कि सुविधा संपन्न होते हुए भी बड़े घरों के बच्चे हासिल नहीं कर पाते हैं. इसलिए आज गुदड़ी के इस लाल अहद अहमद के साथ साइकिल का पंचर जोड़ने वाले उनके पिता शहजाद अहमद को भी लोग बधाई देने उनकी दुकान पर पहुंच रहे हैं.

खास बात यह है कि पूरे इलाके में चाहे वह हिंदू हो मुसलमान हो या फिर किसी दूसरे धर्म के मानते हों, सब लोग अहद अहमद की कामयाबी पर खासा उत्साहित हैं और उन्हें उनकी इस कामयाबी पर बधाई दे रहे हैं. अहद की कामयाबी इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि साइकिल का पंक्चर बनाकर परिवार का पेट पालने वाले पिता और कपड़े की सिलाई कर मां ने दिन-रात कड़ी मेहनत कर उसे पढ़ाया. अहद अहमद कुछ साल पहले तक कभी पिता के साथ साइकिल का पंचर बनाते थे, तो कभी मां का हाथ बंटाते हुए महिलाओं के कपड़े सिलते थे, लेकिन अब वह जज बन चुके हैं.

पीसीएस जे में असद अहमद ने हासिल की 157 वीं रैंक 

30 अगस्त को यूपी में पीसीएस जे की भर्ती के जो नतीजे जारी हुए. उसमें अहद अहमद ने 157 वीं रैंक हासिल की. हैरानी की बात यह है कि अहद को यह कामयाबी पहली ही कोशिश में मिली है, वह भी बिना किसी कोचिंग के सिर्फ अपनी ही पढ़ाई के भरोसे.

अहद अहमद की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई

अहद अहमद ने गांव के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय से आठवीं तक की पढ़ाई पूरी की. जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए प्रयागराज शहर गए, जहां पर गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से 2012 में 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. जिसके बाद उन्होंने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से बीए किया और यहीं से एलएलबी की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी. यहां पर वह तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से खासे प्रभावित हुए और उन्होंने कोरोना काल में पीसीएस जे की तैयारी शुरू कर दी. अहद अहमद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को अपना आदर्श मानते हैं और उनसे खासे प्रभावित हैं.

असद की कामयाबी के पीछे जुड़ी है एक फिल्मी कहानी

दरअसल, असद की कामयाबी के पीछे एक फिल्मी कहानी भी जुड़ी हुई है.बेटे अहद को पढ़ा लिखा कर कामयाब इंसान बनने का आईडिया उनकी मां अफसाना को फिल्म घर द्वार देखकर आया था. इस फिल्म को देखने के बाद ही उन्होंने तय किया कि पति के पंचर की दुकान से परिवार का पेट चलेगा और वह लेडीज़ कपड़ों की सिलाई कर बच्चों को पढ़ाएंगी.

पंक्चर बनाकर पिता ने तीन बेटों को बनाया कामयाब इंसान

अहद अहमद चार भाई बहनों में तीसरे नंबर पर हैं. उनके माता-पिता ने सिर्फ अहद अहमद को ही नहीं पढ़ाया बल्कि अपने दूसरे बच्चों को भी तालीम दिलाई. अहद के बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन चुके हैं तो छोटा भाई एक प्राइवेट बैंक में ब्रांच मैनेजर है. परिवार में खुशियां हाल के दिनों में ही एक साथ आई हैं. अहद का कहना है कि माता-पिता ने उन्हें न सिर्फ मुफलिसी और संघर्ष में पाल पोसकर इस मुकाम तक पहुंचाया है, बल्कि हमेशा ईमानदारी और नेक नियति से कम करने की नसीहत भी दी है. माता-पिता की इस हिदायत पर वह उम्र भर अमल करने की कोशिश करेंगे. अहद के मुताबिक उन्हें यह बताने में कतई झिझक नहीं होगी कि वह एक पंचर वाले के बेटे हैं. पिता शहजाद अहमद को वह अब आराम देना चाहते हैं. हालांकि जज बनने के बावजूद वह अब भी कभी-कभी पिता के काम में हाथ बंटा लेते हैं.