चिकित्सा विज्ञान के लिए चुनौती बनी मासूम की बीमारी, पहले गई याददाश्त और अब शरीर ने भी काम करना किया बंद

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर बसा है कोनकोना गांव. यहां जय कुमार बिंझवार अपने परिवार के साथ रहता है. घर की रोजी-रोटी चलाने के लिए जय कुमार मजदूरी करता है.
इनके दो बेटे हैं. जिनमें से 9 साल का बेटा बादल है, जो पिछले 4 साल से अज्ञात बीमारी से पीड़ित है.

5 साल तक बिल्कुल स्वस्थ था बच्चा

बादल की मां ने बताया कि बच्चा 5 साल तक स्वस्थ था. खेलकूद रहा था और स्कूल भी जा रहा था, लेकिन उसी दौरान अचानक उसकी तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई. मां ने बताया कि शुरू में बच्चे की याददाश्त जाने लगी और वह अचानक बेहोश भी होने लगा था. इसके बाद बच्चे के शरीर ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया. बच्चे की तबीयत को बिगड़ता देख परिजनों ने कोरबा के कई निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन सुधार नहीं होने पर बच्चे को रायपुर ले जाने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी गई.

इलाज के लिए गिरवी रख दी संपत्ति

परिजनों ने रायपुर ले जाकर बादल का इलाज कराया, लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी. उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया. पिता ने बताया कि रायपुर के डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ले जाने की सलाह दी, लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं थे. परिवार ने अपने सभी संपत्ति गिरवी रख दी. इसके बाद अब घर में पैसा नहीं होने के कारण लगभग 1 साल से बादल का इलाज बंद है. बेटे का इलाज नहीं करा पाने के कारण परिजन लाचार हैं. मासूम के इलाज के लिए अब उसके माता-पिता और ग्रामीण शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं.

मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

लाचार माता-पिता को अब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उम्मीद है कि उनके बच्चे का बेहतर इलाज कराएं. मां-बाप ने गुहार लगाई है. परिजनों का कहना है कि कई मामलों में सरकार अभावग्रस्त लोगों को लाखों-करोड़ों की सहायता उपलब्ध कराती है. बादल के मामले में भी सरकार संवेदनशीलता दिखाए और उसके बेहतर इलाज के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करा दे.

दीपक साहू

संपादक

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